google-site-verification=zhxujp9qJ0rj98kET65TY_MNhC4o_QpVLuzV3DzTcD0 fear files

Thursday, 7 October 2021

मिस्र के पिरामिड

मिस्र के पिरामिड। .... 

मिस्र के पिरामिड जो रहस्य और रोमांच व अद्भुत कला शैली  का बेजोड़ नमूना बन चुके हैं यह पिरामिड दुनियाभर के सैलानियों और इतिहासकारों के लिए आकर्षण का केन्द्र बन चुके हैं। इन पिरामिडों के साथ अनेक रहस्य व खौफनाक कहानियाँ जुडी हुई हैं,जो आज भी लोगों को सोचने पर मजबूर कर देती हैं।  

इन पिरामिडों के विषय में यह भी माना जाता है कि आज भी इनकी रक्षा कब्रों में रहने वाले लोगों कि आत्मायें  करते हैं। पिरामिड में दफ़्न लोगों कि आत्माएं अपने क्षेत्र के भीतर बाहरी लोगों के दखल को सहन नहीं कर पाती और समय-समय पर अपने आसपास होने का अहसास करवाती रहती हैं। इतिहास पर नजर डालें तो हम कई ऐसी घटनाओं के बारे में जान सकते हैं जो पिरामिड में रहने वाली आत्माओं और उनसे जुड़े रहस्य को प्रमाणित करती हैं.

लेकिन अगर आपको यह लगता है कि मिस्र में केवल पिरामिड ही ऐसे रहस्यमय स्थान हैं, जिनसे संबंधित डरावनी और अविश्वसनीय अफवाहें हमें आय दिन सुनने को मिलती हैं तो आपको यह जानकर बेहद आश्चर्य होगा कि शोध दल ने वहां एक ऐसे मकबरे को भी ढूंढ़ निकाला है जिसकी स्थापना आज के लगभग 4,000 वर्ष पूर्व हुई थी.

बेल्जियम के कैथोलिक यूनिवर्सिटी ऑफ लौवेन से जुड़े पुरातत्वविदों ने एक ऐसे रहस्यमय मकबरे को खोज निकाला है जिसे आज से कई हजार वर्षों पूर्व स्थापित किया गया था. इस मकबरे में एक पत्थर की पट्टिका पाई गई है जिस पर अंतिम संस्कार से सम्बंधित प्राचीन आख्यान खुदे हुए हैं.

मिस्त्र के पुरातत्व मंत्री मुहम्मद इब्राहिम का भी यह कहना है कि बीते कई वर्षों  में शायद ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी सुरक्षित मकबरे को खोज कर सार्वजनिक किया गया है. मुहम्मद हामिद के अनुसार इस मकबरे के निर्माण की तारीख प्राचीन मिस्त्र के प्रथम मध्यवर्ती कालावधि (2181-2055 ईसा पूर्व) की है. यह एक बेहद असामान्य खोज इसीलिए भी है क्योंकि उस काल से जुड़ी किसी इमारत का सही सलामत मिलना तो दूर उसके अवशेष मिलना भी बहुत मुश्किल था. यह मकबरा किसका है अभी इस रहस्य से पर्दा नहीं उठाया गया है लेकिन मकबरे तक पहुंचने वाले दल का कहना है कि खुदाई के दौरान उन्होंने कई अलौकिक ताकतों और घटनाओं को महसूस किया है. निश्चित तौर पर यह भी किसी बेहद ताकतवर व्यक्ति का ही मकबरा हो सकता है.

Tuesday, 5 October 2021

रहस्य और रोमांच से भरी हिमाचल प्रदेश की बेताल गुफा। .....

रहस्य और रोमांच से भरी हिमाचल प्रदेश की बेताल गुफा। ..... 

आज जिस रहस्य को हम आपको बताने जा रहे है वह है हिमाचल कि  बेताल गुफा। हिमाचल को भारतीय देवी-देवताओं के प्रवित्र स्थान के रूप में जाना जाता है।  हिमालय की गोद में बसी एक ऐसी गुफा, जिसके बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं। एक ऐसी ही हिमाचल की पहाड़ियों में बेताल की गुफा स्थित है, जिसके बारे में कहा जाता है कि इसकी दीवारों से देसी घी टपकता रहता था।

यह गुफा हिमाचल  प्रदेश के जिला मंडी के सुंदरनगर में स्थित है। यहाँ भौणबाड़ी की माता शीतला की पहाड़ी तलहटी में उतर दिशा में हमें बेताल गुफा के दर्शन होते हैं ,जहाँ किसी  समय शुद्व देसी घी और बर्तन मिलते थे। मान्यता है कि जो भी इस गुफा से बर्तन या देसी घी मांगता था, उसकी वह इच्छा अवश्य पूर्ण होती थी। इतना ही नहीं यहां की दीवारों से घी टपकता रहता था। गुफा की लंबाई लगभग 40 से 50 मी० और ऊंचाई 15 फीट है। अगर कोई सच्चे दिल के साथ यहां कोई मन्नत मांगता है तो उसकी इच्छा अवश्य पूरी होती है, ये लोगों की मान्यता है। यह गुफा दो तरफ से खुलती है, जिसका एक मुख थोड़ा चौड़ा और दूसरा मुख कम व्यास वाला है। बेताल गुफा के भीतर 30-40 ऐसी मूर्तियां हैं, जिन पर ईश्वर के चित्र अंकित हैं। गुफा में हिंदू देवी-देवताओं की पुरानी प्रतिमाएं बनी हुई है। स्थानीय लोग इन प्रतिमाओं की पूजा करते हैं। 

मान्यता के अनुसार पहले समय में जिस भी घर में विवाह होता था, उस घर का मुखिया पूजा की थाली सजाकर गुफा के द्वार पर सिंदुर से निमंत्रण लिखकर आता था। उसके बाद विवाह के लिए जो भी बर्तन चाहिए होते थे उन्हें वे सच्चे दिल से मांगता था, अगले दिन उसके द्वारा मांगे गए बर्तन गुफा के द्वार पर होते थे, जब विवाह समाप्त होता था तो मुखिया उन बर्तनों को गुफा के बाहर रख आता था। वहां से बर्तन अपने-आप ही गायब हो जाते थे। कहा जाता है कि एक बार किसी व्यक्ति ने बर्तन वापिस नहीं किए, जिसके बाद से इस गुफा से बर्तन मिलने बंद हो गए।

लोगों का यह भी कहना है कि गुफा की दीवारों से देसी घी भी टपकता था, लेकिन बाद में बंद हो गया। मान्यता के अनुसार एक रात एक ग्वाला अपने पशुओं के साथ गुफा में आया। ग्वाला गुफा से टपक रहे घी को बार-बार अपनी रोटी में लगाता और खा जाता था, जिससे घी जूठा हो गया और उसी दिन से गुफा से घी टपकना बंद हो गया। 

स्थानीय लोगों का मानना है कि बेताल की गुफा मनोकामना पूरी करती है, जिसके चलते यह एक आस्था का स्थल बन चुकी है। लोगों की आस्था आज भी इस गुफा से जुड़ी हुई है। लोगों का कहना है कि जब गांव के पशु बीमार पड़ते हैं या दूध देना बंद कर देते हैं तो गुफा के पास पूजा-पाठ करने से सारी समस्याएं दूर हो जाती है। गुफा से संबंधित रहस्य प्राचीन काल में ही समाप्त हो गए, लेकिन गुफा का महत्व अभी भी बरकरार है।

Monday, 4 October 2021

पृथ्वी पर मौजूद हैं दूसरी दुनिया के दरवाज़े ......

पृथ्वी पर मौजूद हैं दूसरी दुनिया के दरवाज़े ......

पृथ्वी पर अनेक रहस्य है जिन मे से एक है ये वर्म होल जी हां कहा जाता हैं ये वर्म होल दूसरी दुनिया मे जाने का मार्ग है। 

फ्लोरिडा कोस्टारिका 

धरती पर अब तक इस तरह के दो वर्म होल ढूँढ़े जा चुके हैं। इनमें से एक फ्लोरिडा कोस्टारिका और बरमूडा के बीच बरमूडा त्रिकोण है, जबकि दूसरे की खोज अभी २६ वर्ष पहले 18 अगस्त 1990 को हुई। जापान, ताइवान तथा गुगुआन के मध्य स्थित यह ट्रायंगल “ड्रेगन्स ट्राइएंगल” के नाम से प्रसिद्ध है | क्या होते है ये वर्म होल ? वर्म होल इस अखिल विश्व ब्रह्माण्ड के वो छिद्र हैं जहाँ पर समय (Time) और आकाश (Space) की सारी ज्यामितियाँ एक हो जाती हैं अर्थात यहाँ पर समय (Time) और आकाश (Space) का परस्पर एक-दूसरे में रूपांतर संभव है | समय (Time) और आकाश (Space) की ज्यामितियाँ एक हो जाने की वजह से, इस अखिल विश्व ब्रह्माण्ड में जितनी भी विमायें (Dimensions) हैं वो सब उस ‘बिंदु’ में तिरोहित हो जाती हैं इसी वजह से इस बिंदु में प्रचंड आकर्षण शक्ति होती है। 

बरमूडा त्रिकोण

तो अगर आप किसी वर्म होल के मुहाने पर खड़े हैं तो उसकी अकल्पनीय आकर्षण शक्ति में फंस सकते हैं | एक बार कोई भी वस्तु उस छिद्र में फंसी तो वो स्वयं भी उस बिंदु के समान हो जाएगी लेकिन अगले ही क्षण वो इस बिंदु से बाहर किसी दूसरे लोक में होगी | जितने समय तक वो वस्तु उस बिंदु में रहेगी वो अपने आप को उस ब्रह्माण्ड की सारी विमाओं (Dimensions) में व्यक्त करेगी लेकिन ये समय इतना कम होता है कि न तो इसको किसी भी तरह से मापा जा सकता है और न ही इस मानवीय शरीर से इसका अनुभव किया जा सकता है |

अगर आप दुर्भाग्य वश इस वर्म होल में फंस गए तो, दिक्-काल (Time-Space) की सारी ज्यामितियों के हो जाने की वजह से, आप के साथ दो संभावने हो सकती है | या तो आप किसी बिलकुल अद्भुत और अनजान लोक में पहुंचे लेकिन वहां भी उसी समय में जी रहे होंगे जिस समय में आप जीते अगर पृथ्वी लोक में होते तो | ऐसा भी हो सकता है की दूसरे लोक में भी आपको अपने आस-पास, अपने लोगो की आवाज़े आ रही हों जो गायब होते वक्त आपके आस-पास थे लेकिन आप उनको देख नहीं पा रहे हों क्योकि आप उनसे इतर किसी दूसरे लोक में हैं | ऐसा इसलिए होता है की वर्म होल में फंसने की वजह आप के क्षेत्र या आकाश (Space) की ज्यामिति परिवर्तित (Change) हो गयी लेकिन आपके समय (Time) की ज्यामिति नहीं बदली |

दूसरी सम्भावना ये है कि हो सकता है वर्म होल में फंसने के बाद आप वापस उसी जगह पर हों लेकिन आप की अपनी दुनिया के लोग वहां न हों हांलाकि हो सकता है जगह थोड़ी सी बदली-बदली सी लगे लेकिन वास्तव में आप होंगे उसी जगह पर, लेकिन आप के अपने समय के संगी-साथी वहां नहीं होंगे | ऐसा समय की ज्यामिति परिवर्तित होने से होता है | यानि आपके स्थान या आकाश (Space) की ज्यामिति तो वही रही लेकिन समय (Time) की ज्यामिति बदल गयी |आप अपने ही लोक, अपने ही ग्रह पर लेकिन किसी और समय में होंगे |

यद्यपि वर्महोल की परिकल्पना वैज्ञानिको के लिए अभी भी चुनौती पूर्ण बनी हुई है लेकिन ब्रह्माण्ड के अद्भुत रहस्यों में से एक वर्म होल ने कई अनसुलझी गुत्थियों को सुलझा भी दिया है | पृथ्वी पर स्थित वर्म होलों के संबंध में वैज्ञानिकों के एक दल का विश्वास है कि इस प्रकार के अनेक छोटे वर्म होल्स इसके जल या स्थल भाग में स्थित हो सकते हैं पर किन्हीं कारणों से उनके मुँह बंद रहते हैं और यदा−कदा ही खुलते हैं, किन्तु जब खुलते हैं, तो इस प्रकार की घटनाएँ देखने−सुनने को मिलती हैं। ये छिद्र कभी−कभी ही क्यों खुलते हैं और अधिकाँश समय बंद क्यों रहते हैं? इस संबंध में जानकारी प्राप्त करने के लिए वैज्ञानिक अब पृथ्वी स्थित अपनी प्रयोगशाला में ही छोटे आकार के वर्महोल विनिर्मित करने का प्रयास कर रहे हैं, ताकि उनकी प्रकृति के बारे में गहराई से अध्ययन किया जा सके। यदि ऐसा हुआ, तो फिर लोक−लोकान्तरों की यात्रा बिना किसी कठिनाई के कर सकना संभव हो सकेगा और व्यक्ति इच्छानुसार किसी भी लोक का सफर किसी भी समय सरलतापूर्वक कर सकेगा।

ऐसे गमनागमन का आर्ष साहित्यों में यत्र−तत्र वर्णन भी मिलता है। महाभारत में एक इसी तरह के प्रसंग का उल्लेख वन पर्व के तीर्थयात्रा प्रकरण में मौजूद है, जिसमें बंदी नामक एक पंडित ने यज्ञ के आयोजन के लिए विद्वान ब्राह्मणों को समुद्र मार्ग से वरुण लोक भेजा था। चर्चा यह भी है कि यज्ञ के उपराँत वे सकुशल पुनः उसी मार्ग से पृथ्वी लोक आ गये थे। इससे स्पष्ट है कि तब लोग उस विद्या में निष्णात् हुआ करते थे, जिसे आत्मिकी या उच्च स्तरीय रूप माना जाता है। यदि ऐसा नहीं होता, तो उनका वापस लौट पाना एक प्रकार से अशक्य बना रहता। आज इसी अशक्त ता के कारण ऐसी घटनाओं में व्यक्ति एक लोक से दूसरे में पहुँच तो जाता है, पर फिर अपने पूर्व लोक में वापस नहीं आ पाता। इससे यह भी साबित होता है कि अन्य लोकों का सुनिश्चित अस्तित्व असंदिग्ध रूप से विद्यमान है।

इसी का समर्थन करते हुए प्रसिद्ध वैज्ञानिक रिचर्ड एच. ब्रायण्ट अपनी कृति “अदर वर्ल्डस” में लिखते हैं कि भौतिक आयामों से परे अपने ही जैसे किसी अन्य विश्व-ब्रह्माण्ड के लिए यह जरूरी है कि व्यक्त चार आयामों के अतिरिक्त और चार आयाम हों। यह आयाम प्रत्यक्ष आयामों को ढकेंगे नहीं, वरन् हर नया आयाम प्रत्येक दूसरे से समकोण पर स्थित होगा। वे कहते हैं कि यद्यपि इस प्रकार की विचारधारा सिद्धाँत रूप में संभव नहीं है, फिर भी गणितीय रूप से इसे दर्शाया जा सकता है। उनके अनुसार यदि भौतिक विज्ञान की पहुँच से बाहर दृश्य आयामों से परे कोई पड़ोसी अदृश्य संसार वास्तव में है, तो इसे पाँचवें, छठवें, सातवें और आठवें आयामों से बना होना चाहिए। इस प्रकार विज्ञान ने भी सूक्ष्म लोकों के अस्तित्व पर एक प्रकार से मुहर लगा दी है।


दशहत का सबब बनी मिस्र कि ममी। ...

 दशहत का सबब बनी मिस्र कि ममी। ... 

यह सच्ची घटना पर आधारित एक खौफनाक किस्सा है जहाँ एक मृत ममी रात होते ही जाग जाती थी पहले इस बात पर किसी ने ध्यान नहीं दिया परन्तु मैनचेस्टर म्यूजियम में कुछ ऐसा घटित हुआ जिसने सब को हिला कर रख दिया था ,आइए जानते है। 

मिस्र के चर्चित पिरामिडों में कैद ममी के बारे में तो हम सभी जानते हैं. प्राचीन मिस्र में ऐसा माना था कि मरने के बाद भी आत्मा को हर उस चीज की जरूरत पड़ती है जो वह जीवित रहते हुए प्रयोग कर रही है. इसीलिए जब भी कोई मरता था तो उसके शरीर को केमिकल लगाकर कुछ इस तरह दफनाया जाता था कि उसके मृत शरीर में से बदबू ना आए और ना ही उसका शरीर सामान्य गति के साथ गलने लगे. इतना ही नहीं मरने के बाद भी जीवन के होने में यकीन रखने वाले मिस्र के लोग मृत शरीर के साथ जरूरी सामान भी रख दिया करते थे, ताकि आत्मा को किसी भी प्रकार की कोई तकलीफ ना हो. मरने के बाद भी जीवन जैसी बात मिस्र के लोगों के साथ अन्य देशों के लोगों को आज बहुत दिलचस्प लगती है और यह सब वृत्तांत तब और ज्यादा आकर्षित करते हैं जब ममी के जिंदा होने की बात सुनाई देने लगे. ममी अलाइव, ममी रिटर्न जैसीहॉलिवुड फिल्में देखने वाले लोग ममी के खौफ से भली-भांति परिचित होंगे लेकिन हो सकता है उन्हें यह सब फिल्मी मसाला लगता हो. अगर ऐसा है तो हम आपको एक अजीबोगरीब घटना से अवगत करवाने जा रहे हैं जो ममी की दहशत और उसके जिन्दा होने जैसी बातों को स्वत: बयान करती है.

मैनचेस्टर म्यूजियम (ब्रिटेन) में एक ऐसी प्राचीन मिस्र की मूर्ति को लाया गया है जोअपने आप घूमती है. दिनभर शांत और एक तरफ पड़ी रहने वाली यह मूर्ति दिन ढलते ही भयानक मंजर को आमंत्रित करती है. कार्बन डेटिंग प्रक्रिया के तहत इस 10 इंच ऊंची मूर्ति की उम्र लगभग 18,00 बी.सी. बताई जा रही है और इसे 1933 में ब्रिटेन के इस म्यूजियम में लाया गया था. लेकिन अब यह मूर्ति घूमने लगी है, वह अपनी जगह बदलने लगी है. यह मूर्ति एक पुरानी ममी की कब्रमें से निकाली गई है और अब जब यह मूर्ति अपनी दिशा बदलकर इधर-उधर घूमने लगीहै तो यह सामान्य लोगों के साथ-साथ संग्रहालयों से जुड़े लोगों के लिए जिज्ञासा का विषय बन गई है. उल्लेखनीय है कि जब संग्रहालय से जुड़े लोगों ने अगले दिन मूर्ति की दिशा को बदला हुआ देखा तो उन्होंने इस मूर्ति के सामने सीसीटीवी लगा दिया और अगले दिन जब कैमरे की फुटेज में इस मूर्ति को घूमते हुए देखा तो किसी को भी अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ। 



Sunday, 3 October 2021

शिमला कि डरावनी टनल न 33 .....

 शिमला कि डरावनी टनल न 33 ..... 

बड़ोग टनल नंबर 33 में आज भी है आत्माओं का वास...कालका से शिमला तक जाने वाले रेल रुट पर वैसे तो कई सारी टनल पड़ती हैं ,लेकिन उसमे सबसे खास और डरावनी है टनल न.33 कहा जाता है कि इस टनल में आज भी उस इंजीनियर की आत्मा का वास है ,जिसने टनल के ठीक सामने आत्महत्या कर ली थी। क्या है इस टनल की कहानी मैं आप को बताने जा रहा हूँ .

शिमला में स्थित इस टनल का नाम है दि बरोग टनल ,जिसे टनल नंबर 33 भी कहा जाता है। 1143.61 मीटर लम्बी यह टनल कालका -शिमला मार्ग पर बरोग रेलवे स्टेशन के पास स्थित है। इसका निर्माण 20 वी सदी मे हुआ था और यह दुनिया की सबसे सीधी टनल है। इस टनल को पार करने के लिए ट्रेन ढाई मिनट लेती है। ब्रिटिश काल में कर्नल बरोग नाम का ब्रिटिश इंजीनियर था ,जिसे इस टनल बनाने की जिम्मेदारी दी गयी थी।उस दौरान पहाड़ो को काटने के लिए बड़े - बड़े शीशों और एस्टीलीन गैसों का इस्तेमाल किया जाता था। कर्नल ने सबसे पहले पहाड़ का निरीक्षण किया और दो छोर पर मार्ग लगवाए और मजदूरो को दोंनो छोर से सुरंग खोदने के निर्देश दिए। उसका अनुमान था कि खुदाई करते करते दोनों सुरंगे बीच मे आ कर मिल जायेंगी ,लेकिन ऐसा नहीं हुआ। कर्नल के काम में थोड़ा डेवीएशन आ गया सुरंग खोदते वक़्त ऐसे डेवीएशन आना वैसे आम बात है ,लेकिन ब्रिटिश सरकार को यह सही नहीं लगा। सरकार ने पसे की बर्बादी करने का करना कर्नल पर जुर्माना लगा दिया।

मजदूरों ने भी बहुत खरी खोटी सुनाई क्योकि उनकी मेनहत बेकार चली गई थी।इंजीनियर इस बात को लेकर बहुत परेशान हो गया और एक दिन अपने कुत्ते को लेकर सुबह टहलने निकला और खुद को गोली मार ली। जिस जगह पर इंजीनियर ने खुद को गोली मारी थी उस जगह पर आज बरोग पाइन वुड होटल है। खून से सना इंजीनियर का शव घंटो तक वही पड़ा रहा। जिस वक़्त इंजीनियर ने को खुद को गोली मारी थी उस वक़्त वहाँ कोई नहीं था। इस आत्महत्या का प्रत्यक्षदर्शी सिर्फ कुत्ता था। क्योकि गांव वालो को वहा तक पहुंचने मे समय लग गया बरोग को अर्द्धनिर्मित टनल के सामने ही दफना दिया गया। इंजीनियर की मौत के बाद 1900 में टनल पर फिर से काम शुरू हुआ और 1903 में टनल पूरी तरह तैयार हो गई। ब्रिटिश सरकार ने टनल का नाम इंजीनियर के नम्म पर रखा बरोग टनल इस टनल को पूरा करने का काम एचएस हर्लिंगन ने किया। उनकी मदद स्थानीय संत बाबा भलकू ने कि थी। इस टनल के निर्माण में 8.4 लाख रूपए का खर्चा आया था।

स्थानीय लोगो का मानना है कि आज भी इंजीनियर की आत्मा इस टनल में घूमती है। यही कारण है की रात के वक़्त कोई भी टनल के पास नहीं जाता ,यहाँ के लोगे यह भी कहते है कि रात को टनल के अंदर से किसी के कहराने की आवाजे आती है। हालाँकि वास्तव में ये टनल बेहद खौफनाक है ,अगर टनल के अंदर लगी सारी लाइट बंद कर दे ,तो अंदर बेहद डरवाना मंजर होता है। अंदर पहाड़ का पानी रिस्ता रहता है। टनल के अंदर कुछ दूर चलने पर आप को एक सुरंग ,जहा से अजीबो गरीब आवाजें आती हैं। सरकार ने उस सुरंग को बंद करने के लिए लोहे का दरवाजा भी लगाया ,लेकिन एक दिन लोगो को दरवाजे का ताला टुटा मिला। तब से लेकर आज तक उसमे ताला नहीं डाला गया। आज भी टनल के अंदर से खौफनाक आवाजे आती हैं। 

क्या है भानगढ़ किले का रहस्य?

 क्या है भानगढ़ किले का रहस्य?.....

आज हम जिस रहस्य के बारे में बात करने वाले है व है भानगढ़ किला ,जी हां भानगढ़ किला पूरे भारत में ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में सबसे खौफनाक जगह में से एक माना जाता है।राजस्थान के अलवर जिले के राजगढ़ नगरपालिका में स्तिथ भानगढ़ गांव को उसके ऐतिहासिक खंडहरों व किलो के लिए ही जाना जाता है।17वीं सदी का यह किला भुतहा व डरावना  होने की वजह से सुर्खियों में रहा और इस किले से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर आरकि्योलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया(ए.एस.आई) द्वारा एक सूचना बोर्ड लगाया गया है जिसमें सूचित किया जाता है कि, सूर्यास्त के बाद यहाँ प्रवेश वर्जित है।

किले के और भुतहा होने के पीछे दो कहानियाँ हैं,जिनमें से एक कहानी सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि भानगढ़ की राजकुमारी रत्नावती बेहद ही खूबसूरत थी जिनसे एक काला जादू करने वाले तांत्रिक को प्यार हो जाता है। एक बार जब राजकुमारी रत्नावती अपने लिए इत्र खरीदने बाज़ार गई, उस काला जादू करने वाले तांत्रिक ने उस इत्र की बोतल को एक प्यार की खुराक के साथ बदल दिया जिससे कि राजकुमारी उसे इस्तेमाल कर उसके प्यार में पड़ जाए।जैसे ही राजकुमारी को ये बात पता चली, राजकुमारी ने उस खुराक की पूरी बोतल को एक बड़े से पत्थर में उड़ेल दिया, जो लुढ़क कर उस तांत्रिक पर जा गिरा जिससे उस तांत्रिक की वहीं मौत हो गई। मरने से पहले उस तांत्रिक ने भानगढ़ और उसके सारे निवासियों को श्राप दिया कि जल्द ही वह राज्य बरबाद हो जाएगा और वहाँ कोई भी जिंदा नहीं बचेगा। इसके कुछ दिनों बाद ही मुगलों ने किले पर आक्रमण कर दिया। किले के अन्य निवासियों के साथ राजकुमारी भी मारी गई। तबसे इस किले और इसके परिसर को भुतहा माना जाता है और कुछ बाते भी यहां कि प्रसिद्ध हैं जैसे कि सूर्यास्त के बाद किले के परिसर में कुछ अजीब सी आहटें सुनाई देती हैं।

लोगो का मानना है रात के समय इस किले में डरावनी व खौफनाक आवाजें आती हैं जैसे किले में कई सारे लोग बातचीत कर रहे हो और कभी कभी किसी के रोने व गुर्राने की चूड़ियों के खनकने कि आवाजे सुनाई देती हैं। जिससे कि लोग यहाँ जाने से कतराते हैं। सरकार ने भी रात के समय इस किले के भीतर जाने पर पाबन्दी लगा दी हैं। यहा के लोगो का कहना है कि आज भी दूर दूर तक वह खौफनाक आवाजे सुनाई देती हैं। इस किले में सूर्यास्त के बाद जो भी गया वापिस नहीं आया। किले के पिछले हिस्से में जहां एक छोटा सा दरवाजा हैं उस दरवाजे के पास बहुत अंधेरा रहता हैं कई बार वहाँ किसी के बात करने या एक तरह कि गंध को महसूस किया गया है। वही किले में शाम के समय बहुत सनाटा रहता है और अचनाक ही किसी के चीख़ने कि भनायक आवाज इस किले में गूंज जाती हैं।

गैलेक्सी मे मिले दूसरी दुनिया के रहस्यमयी सिग्नल....

 गैलेक्सी मे मिले दूसरी दुनिया के रहस्यमयी सिग्नल....

हमारे ब्रह्माण्ड में ऐसे बहुत से उन्सुल्झे रहस्य हैं जिनका पता लगने के लिए दुनिया भर के स्पेस विज्ञानिक जी तोड़ मेनहत कर रहे है और सफल भी हुए है परन्तु ब्राह्मण में कुछ ऐसे तथ्य भी सामने आते है जो समझ से परे है कुछ दिनों पहले ऐसी ही एक घटना सामने आई है।

खगोलविद (Astronomer) लगातार अंतरिक्ष में जीवन की तलाश में जुटे हुए है इसी बीच पिछले कुछ दिनों से खगोलविद (Astronomer) हजारों साल पहले मृत हो चुके एक तारे (dead star) में अजीबोगरीब बदलाव देख रहे हैं। तारे से लगातार तेज सिग्नल मिल रहा है. वैज्ञानिक मान रहे हैं कि जल्द ही किसी बड़े रहस्य से परदा उठेने वाला है।इसकी शुरुआत हो चुकी है. दरअसल 28 अप्रैल से लगातार आसमान में एक मृत तारे से कोई सिग्नल आ रहा है. ये बहुत ज्यादा ताकतवर रेडियो वेव्स (Fast Radio Burst) हैं, जो एक सेकंड के भी हजारवें हिस्से जितनी देर के आती सुनाई दे रही हैं. माना जा रहा है कि ये रेडियो सिग्नल कोई बड़ा राज खोल सकते हैं.इसकी शरुवात कैसे हुई आइये जानते है इसी साल 28 अप्रैल को एक मृत तारे, जो हमारे यहां से 30 हजार प्रकाशवर्ष दूर है, में कुछ हलचल रिकॉर्ड हुई इससे इतनी चमकीली और हाई-फ्रीक्वेंसी रेडियो वेव निकल रही थी, जो पृथ्वी से भी दिखाई दे रही थी. ग्लोबल और स्पेस के X-ray में भी ये दिखाई दिया. ये किसी भी तारे से सुनाई देने वाली अपनी तरह की पहली आवाज है. कुछ वैज्ञानिक मान रहे हैं कि इससे fast radio burst (FRB) के बारे में जानकारी मिल सकेगी. परन्तु  इससे पहले जो सिग्नल मिलते रहे हैं, वे दूसरी आकाशगंगा से आते थे, लेकिन नया सिग्नल हमारी ही आकाशगंगा में स्थित तारे से आ रहा है.

क्या है फास्ट रेडियो बर्स्ट ,ये सुदूर ब्रह्माण्ड से आने वाली वे आवाजें या विस्फोट हैं, जिनके स्त्रोत का पता नहीं लग सका है. बेहद रहस्यमयी माने जाने वाली ये आवाजें काफी दूर होने के बाद भी एनर्जी से इतनी ज्यादा भरी होती हैं कि इनकी फ्रीक्वेंसी 500 मिलियन सूर्य जितनी होती है. साल 2007 में अमेरिकन खगोलविद Duncan Lorimer ने सबसे पहले इसका पता लगाया था, जिसकी वजह से इसे Lorimer Bursts नाम मिला. इसके बाद से कई बार ये आवाजें और रोशनी दिखी है. ये रोशनी इतनी तेज होती है जो खरबों सूर्यों के एक साथ कुल मिलीसेकंड के लिए जलने पर होगी. अभी तक दिखे पैटर्न से ये माना जा रहा है कि लगातार 4 दिनों तक ये आवाजें और रोशनी हरेक घंटे पर दिखती है, जिसके बाद 12 दिनों तक कोई गतिविधि नहीं होती है.बहुत पावरफुल हैअब की बार जो फ्रीक्वेंसी सुनाई दी है, इससे माना जा रहा है कि अंतरिक्ष में हो रहे किसी बड़े रहस्य का पता लगाया जा सकेगा. इस बारे में नीडरलैंड इंस्टीट्यूट फॉर रेडियो एस्ट्रोनॉमी के शोधकर्ता Jason Hessels के मुताबिक ये फास्ट रेडियो बर्स्ट का रहस्य जानने की ओर बड़ा कदम है. आकाशगंगा में एक तारे से ये आवाजें आईं. ये तारा सूरज से कम से कम 40 से 50 गुना बड़ा है!

इसे SGR 1935+2154 नाम दिया गया है.क्या हो सकता है आवाज के पीछेकुछ हाइपोथीसिस के अनुसार ये आवाजें और रोशनी सुपरनोवा से लेकर एलियन तक का इशारा हो सकती है. वहीं कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि ये एक खास तरह के तारे का कोई संकेत है, जिसे Magenta's कहते हैं. ये ऐसे तारे हैं, जिनकी चुंबकीय शक्ति कुछ नहीं तो भी धरती से खरबों-खरब गुना ज्यादा ताकतवर है. यानी अगर ये स्त्रोत पास खिसककर चंद्रमा जितनी दूरी पर आ जाए तो ये वहीं बैठे-बैठे ही आपकी जेब से आपकी चाबी को अपनी ओर खींच लेगा, यानी कुल मिलाकर दुनिया नष्ट कर देगा. हमारे पास जो उपकरण हैं, उनसे बहुत अच्छी तरह से इन रेडियो वेव्स का पता नहीं लग पाता है लेकिन इन  दिनों में ये ज्यादा स्पष्ट होता जा रहा है. साल 2018 में सबसे पहले CHIME (Canadian Hydrogen Intensity Mapping Experiment) नाम के रेडियो टेलीस्कोप से दिखी गई. इसके बाद से इसमें दर्जनों ऐसी घटनाएं दिखीं, लेकिन इस अप्रैल में दिखी आवृति सबसे स्पष्ट और तेज मानी जा रही है. अब ये देखने की कोशिश की जा रही है कि क्या ये आवृति हजारों प्रकाशवर्ष पहले नष्ट हो चुके तारे से आ रही है या इस सिग्नल के कुछ अलग मायने हैं.


ज्ञानी चोर की गुफा का रहस्य

ज्ञानी चोर की गुफा का रहस्य.....  आज जिस रहस्य कि हम बात करने जा रहे हैं वह है  हरियाणा के रोहतक जिले के महम शहर में एक बावड़ी से है। महम की...