ज्ञानी चोर की गुफा का रहस्य.....
आज जिस रहस्य कि हम बात करने जा रहे हैं वह है हरियाणा के रोहतक जिले के महम शहर में एक बावड़ी से है। महम की बावड़ी ज्ञानी चोर की गुफा के नाम से पूरी दुनिया में जानी जाती है। लोगो का कहना है कि उस समय एक ज्ञानी चोर नाम का चोर था , वह एक शातिर चोर था, जो अमीरों को लूटता था और पुलिस से बचने के लिए इस बावड़ी में छिप जाता था।
इस बावड़ी में एक कुआं स्थित है। इस कुएं तक पहुंचने के लिए 101 सीढ़ियां थी, लेकिन इस कुएं में अब सिर्फ 32 ही बची हैं। 1995 में भयानक बाढ़ आई थी जिसने बावड़ी के एक बड़े हिस्से को तबाह कर दिया था। फिलहाल यह बावड़ी पर पुरातत्व विभाग का कब्जा है। अब बावड़ी के चारों तरफ रेलिंग लगा दी गई है और साफ सफाई भी की जाती है। कुछ दीवारों और सीढ़ियों को फिर से बनाया गया है।मुगलकाल में बनाई गई इस बावड़ी को रहस्यों और किस्से-कहानियों के लिए जाना जाता है। बताया जाता है कि इस रहस्यमयी बावड़ी में अरबों रुपयों का खजाना छिपा है। यह भी दावा किया जाता है कि यहां सुरंगों का जाल है जो दिल्ली, हांसी, हिसार और पाकिस्तान तक जाता है। यहां पर बावड़ी के एक पत्थर पर फारसी भाषा में लिखा गया है स्वर्ग का झरना। बावड़ी में लगे फारसी भाषा के एक अभिलेख में बताया गया है कि मुगल बादशाह के सूबेदार सैद्यू कलाल ने 1658-59 ईसवीं में इस स्वर्ग के झरने का निर्माण कराया था।
ज्ञानी चोर की गुफा के नाम से प्रसिद्ध यह बावड़ी जमीन में कई फीट नीचे तक बनी है। लोग बताते हैं कि अंग्रेजों के शासन के समय एक बारात इस सुरंग के रास्ते दिल्ली जा रही थी, लेकिन बारात में शामिल सभी लोग गायब हो गए। बारात के कई दिन बीत जाने के बाद भी सुरंग में गए बाराती न तो दिल्ली पहुंचे और न ही वापस आए। तब से यह सुरंग चर्चा का विषय बन गई है। किसी अनहोनी होने की घटना की वजह से अंग्रेजों ने इस सुरंग को बंद कर दिया। यह सुरंग अभी भी बंद है।
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